आंवला नवमी पर जानिए आंवला राजा के जुड़ी ये दिलचस्प कहानी
तलाश अभियान के दौरान पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद का आतंकवादी गिरफ्तार
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![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() आंवला नवमी पर जानिए आंवला राजा के जुड़ी ये दिलचस्प कहानीकार्तिक माह शुक्ल पक्ष की अक्षय नवमी को आमला नवमी भी कहते हैं। इस खास दिन पर आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। शास्त्रों के मुताबिक नवमी से लेकर पूर्णिमा तक भगवान विष्णु का आवंले के पेड़ पर वास रहता है। अक्षय नवमी का यह दिन इतना विशेष होता है कि किसी भी कार्य की शुरुआत बिना किसी मुहुर्त देखे की जा सकती है। वहीं संतान प्राप्ति के लिए इस दिन आंवले के पेड़ की विधिविधान से पूजा व व्रत करना फलदायी होता है। इसके अलावा इस दिन आंवला व प्रसाद स्वरूप चखने से सभी दुख व रोग दूर होते हैं।
एक राजा था, उसका प्रण था वह रोज सवा मन आंवले दान करके ही खाना खाता था। इससे उसका नाम आंवलया राजा पड़ गया। एक दिन उसके बेटे बहु ने सोचा कि राजा इतने सारे आंवले रोजाना दान करते हैं, इस प्रकार तो एक दिन सारा खजाना खाली हो जायेगा। इसीलिए बेटे ने राजा से कहा की उसे इस तरह दान करना बंद कर देना चाहिए। बेटे की बात सुनकर राजा को बहुत दुःख हुआ और राजा रानी महल छोड़कर बियाबान जंगल में जाकर बैठ गए। राजा-रानी आंवला दान नहीं कर पाए और प्रण के कारण कुछ खाया नहीं। जब भूखे प्यासे सात दिन हो गए तब भगवान ने सोचा कि यदि मैने इसका प्रण नहीं रखा और इसका सत नहीं रखा तो विश्वास चला जाएगा। इसलिए भगवान ने, जंगल में ही महल, राज्य और बाग-बगीचे सब बना दिए और ढेरों आंवले के पेड़ लगा दिए। सुबह राजा रानी उठे तो देखा की जंगल में उनके राज्य से भी दुगना राज्य बसा हुआ है। कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की अक्षय नवमी को आमला नवमी भी कहते हैं। इस खास दिन पर आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। शास्त्रों के मुताबिक नवमी से लेकर पूर्णिमा तक भगवान विष्णु का आवंले के पेड़ पर वास रहता है। अक्षय नवमी का यह दिन इतना विशेष होता है कि किसी भी कार्य की शुरुआत बिना किसी मुहुर्त देखे की जा सकती है। वहीं संतान प्राप्ति के लिए इस दिन आंवले के पेड़ की विधिविधान से पूजा व व्रत करना फलदायी होता है। इसके अलावा इस दिन आंवला व प्रसाद स्वरूप चखने से सभी दुख व रोग दूर होते हैं। |